मोर जिनगी के डोंगा – अल्का चंन्द्राकर | MOR JINGI KE DONGA LYRICS | ALKA CHANDRAKAR JAS GEET

 💕 मोर जिनगी के डोंगा  💕
🌹 MOR JINGI KE DONGA LYRICS🌹
🎵 JAS GEET LYRICS 🎵
  • गीत – मोर जिनगी के डोंगा
  • स्वर – अल्का चंन्द्राकर
  • गीतकार – 
  • संगीत – माधव चन्द्राकर, रामनारायण ध्रुवे
  • प्रकार – छत्तीसगढ़ी जसगीत
  • लेबल – सुन्दरानी



चाहे रिसाए ये जग सगरो

दाई तैं झन रिसाबे वो

मोर जिनगी के डोंगा ला वो

दाई पार लगाबे

 

स्थायी

चाहे रिसाए ये जग सगरो

दाई तैं झन रिसाबे वो

चाहे रिसाए ये जग सगरो

दाई तैं झन रिसाबे वो

मोर जिनगी के डोंगा ला वो

दाई पार लगाबे



अंतरा 1

चौरासी के बंधना दाई चौरासी हे धारा

ठाढ़े ठाढ़े गुनत हावौ कईसे उतरंव पारा

तैं जग के वो महतारी

कब करबे मोर चिन्हारी

मोर फूटहा करम ला वो

कोन बेरा सजाबे

ए महामाया जिनगी के डोगा ला वो

तैं पार लगाबे



अंतरा 2

तोर किरपा ले ठगड़ी के छाती ले

फूटै दूध के धारा

तोर डेहरी म महूं परे हंव

नई हे कोनो सहारा

मोर जिनगी म हे अंधियारी

आही कब वो उजियारी

हिरदय म भगती के वो

अब जोत जालाबे

ए महामाया जिनगी के डोगा ला वो

तैं पार लगाबे

चाहे रिसाए ये जग सगरो

दाई तैं झन रिसाबे वो

मोर जिनगी के डोंगा ला वो

दाई पार लगाबे



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