सिया राम जय राम जय जय राम
Siya Ram Jai Ram Jai Jai Ram Lyrics
Akhand Ram Dhun Lyrics
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
जय राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
हे राम मेरे राम सिया राम जय जय राम
सिया राम जय जय राम मेरे राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
प्यारे भक्तों माता कैकई जानती थी, कि भगवान श्री राम विष्णु अवतार है। एक दिन श्री राम ने माता कैकेई से कहा मां, मुझे आपसे वनवास चाहिए | इस बात पर माता कैकई ने कहा हे प्रभु यह मेरा स्वभाग्य है यदि मैं आपके किसी काम आ सकूं तब श्री राम बोले हे माता इसमें आपके दो अहित होंगे|पहला कि आप विधवा हो जायेगे और दूसरा भविष्य में कोई भी प्राणी आपके नाम पर अपने बेटी का नाम नही रखेगा|यह बात सुनकर माता बोली प्रभु मुझे यह दोनो अहित मंजुर है लेकिन इसके बदले मुझे क्या मिलेगा ? भगवान श्री राम ने कहा माता मांगो क्या मांगते हो माता कैकई बोली हे प्रभु यदि आप कुछ देना चाहते है तो आप को अपना अगला अवतार मेरे गर्भ से लेना होगा प्रभु श्री राम मुस्कुराते हुए बोले हे माता यह वरदान तो मै माता देवकी को पहले ही दे चुका हूं लेकिन आप को भी यह वरदान देता हूं कि माता देवकी के गर्भ से जन्म लेने के बावजूद मै अपना सारा बचपन कृष्ण अवतार के रूप में आपकी गोद में खेलूंगा और आप संसार में यशोदा मैया के नाम से जाने जायेंगे |
श्री कृष्णा गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्णा गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
तू है प्रभु मै हूं तेरा पूजारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
छवि तेरी प्रभु मोरे मन मे बसे
कैसे डुबेगा वो तुने थामा जिसे
कैसे डुबेगा वो तुने थामा जिसे
थामा जिसे
तुम्ही हो भक्तन के हितकारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
भगवान विष्णु जी विष्णु लोक में शेष नाग की शैया पर विश्राम कर रहे है और माता लक्ष्मी उनके चरण दबा रही है समुंदर में एक कछुआ भगवान विष्णु जी के चरण स्पर्श करने की कोशिश में लगा हुआ है श्री हरि के विश्राम में कोई बाधा ना पड़े माता लक्ष्मी कछुए को अपने हाथ से पीछे हटा रही है हजार कोशिश करने के पश्चात भी कछुआ प्रभु के चरण स्पर्श नही कर पर रहा है सोचता है क्यों ना भगवान के मुख का दर्शन किये जाये चरणो का ध्यान छोड़कर कछुआ श्री हरि के मुख की ओर चल पड़ा है जिसे देख कर भगवान के शीश तल छाया किये हुए शेष नांग ने अपनी फूंकार से कछुए को पीछे ही रोक दिया है अब दुर खड़ा कछुआ मन ही मन भगवान से प्रार्थना करता है हे प्रभु क्या आपकी सेवा करने की जिम्मा इन दोंनो ही ले रखा है कछुए की प्रार्थना सुन कर भगवान विष्णु मन ही मन मुस्काते हुए हे प्राणी तुम्हारे अगले जन्म में एक समय ऐसा आयेगा जब तुम्हे मेरी सेवा करने का सम्पूर्ण फल प्राप्त होगा और ये दोनो कुछ नहीं कर पायेंगे और देखते ही रह जाएंगे |भगवान श्री राम विष्णु अवतार है चौदह वर्ष का वनवास मिलने पर सीता जी व लक्ष्मण के साथ भगवान श्री राम चंन्द्र जी ने नदी पार करने के लिए केंवट नवसाद राज से आग्रह किया केंवट ने कहा हे प्रभु नदी तो मै आपको पार करा देता हूं पहले आप मुझे अपने चरण धोने का आज्ञा देकर भवसागर से पार करने का वचन दीजिए केंवट के इस भक्ति भाव से प्रसन्न होकर श्री राम ने उसे अपने चरण धोंने का आज्ञा दी केंवट को चरण धोंते हुए देखकर भगवान श्री राम ने सीता व लक्ष्मण जो माता लक्ष्मी है व शेष नाग के अवतार है से कहा ये केंवट वही कछुआ है जिसे आप दोंनो ने मेरी सेवा करने से दूदकार दिया था और ये वही कछुआ केंवट के रूप में मेरी सेवा करने का संपूर्ण फल प्राप्त कर रहे है और आप दोंनो देख रहे हो और कुछ नही कर पा रहे हो प्रभु की इस लीला पर माता सीता ही और लक्ष्मण जी नतमस्तक हुए और भगवान श्री राम जी की जय जयकार करने लगें।
जय राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
सिया राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
हे राम मेरे राम सिया राम जय जय राम
सिया राम जय जय राम
सिया राम जय जय राम
मेरे राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय राम जय जय राम
जय राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
जय राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
जय राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
जय राम जय राम जय जय राम
सिया राम जय जय सिया राम
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