सम्बलपुर के समलाई दाई Sambalpur Ke Samlai Dai Lyrics – Kantikartik Jas Geet Lyrics

सम्बलपुर के समलाई दाई

Sambalpur Ke Samlai Dai Lyrics

Kantikartik Jas Geet Lyrics

  • गीत – सम्बलपुर के समलाई दाई
  • स्वर – कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार – गुरूदेव मौनी लाला
  • संगीत – ओपी देवांगन
  • प्रकार – छत्तीसगढ़ी जस गीत
  • लेबल – कोक क्रिएशन


स्थायी
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे
सेवक के भगती म दाई हावै बलिहारी
गांव हा चांपा घोड़ी के हरे गा चिनहारी
चौरासी गांव दाई के किरपा ला पागे
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे

अंतरा 1
बेरा बेसर के चांपा गांव के नवा सुरूज पंगपंगाथे गा
दुख पीरा ला गोहराए बर दाई के तीर म आथे गा
सेवक राम के सेवकाई ला दाई सुग्घर पा जाथे ग
भगती म दाई बलिहारी हे सउहे माया रचाथे गा
कैना रूप धरे दाई समलाई
पाछु पाछु संग धरे सेवक के भाई
अंतस म बेटी के मया समागे
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे

अंतरा 2
सेवक राम के घर हरियागे बेटी बन घर आए ले
संदेशा चारो मुड़ा बगर गे बेटी धन के पाए ले
गांव बस्ती भर चारी होथे कैना ला घर लाए ले
राजा तीर म जा के बताथे राजा कथे सुख पाई ले
अन्न दे के राजा करे सुग्घर सम्मान
सेवक के देखो जागे जागे स्वाभीमान
सोना जईसे के सुहागा समागे
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे

अंतरा 3
आनी बानी के परछो परछन बस्ती हर चौधाए ना
सेवक राम करे विश्वासे दाई ला भार लागाए ना
होनी ला अनहोनी कर के धरम ध्वजा फहराए ना
पंवरी के चिनहा छोड़ के दाई अंतध्यान हो जाए ना
मन कउ करम वचन ले
सेवक हा गोहराए
दाई के पांव के चिनहा म
भगती के फल पाए
नेती नेती दाई के पईया लागे
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे

अंतरा 4
गांव भर मिल के राजा संग नवराती मनाए भारी गा
मांदर मिरदंग झांझ मंजिरा गाए सदा प्यारी प्यारी गा
आठे के दिन आहूं कहिके बोली बोले नियारी गा
कोसा कांसा अउ कंचन ले करे सुग्घर के सिंगारी गा
समलाई दाई के दर्शन सब पा गे
मईया के चरण म अरजी करन लागे
दाई ला सेवक के सेवकाई हा पागे
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे

अंतरा 5
जम्मो प्रजा के हावै भलाई राजा के मन में आथे गा
राजा चौराहा म चलना कहिके चरण शरण गोहराथे गा
तब सेवक हां गांव के हित म दाई के मन रजवाथे गा
सेवक भाखा ले दाई हा चौराहा म गुड़ी बिसाथे गा
कोष्टा कसेर सोनार बड़े भाग वाला
कांतिकार्तिक गाए लिखे मौनी लाला
घोड़ी चांपा देखो अमरता ला पा गे
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे

सेवक के भगती म दाई हावै बलिहारी
गांव हा चांपा घोड़ी के हरे गा चिनहारी
चौरासी गांव दाई के किरपा ला पागे
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के
सम्बलपुर के समलाई दाई
सेवा पाए बर देखो चांपा म आ गे

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