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ये हो अटल कुंवारी दाई - कांतिकार्तिक | YE HO ATAL KUNWARI DAI LYRICS | KANTIKARTIK JAS GEET

 ये हो अटल कुंवारी दाई
YE HO ATAL KUNWARI DAI LYRICS
KANTIKARTIK JAS GEET

  • गीत - ये हो अटल कुंवारी दाई
  • स्वर - कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार - गुरूदेव मौनीलाला जी
  • संगीत - ओपी देवांगन
  • प्रकार - छत्तीसगढ़ी जस गीत
  • लेबल -  KOK CREATION


स्थायी

ये हो अटल कुंवारी दाई देथे दुलार वो

ये हो अटल कुंवारी दाई देथे दुलार वो

काया ले तारे उपजारे

काया ले तारे उपजारे

लागे पारोभार वो


अंतरा 1

कतको रौंदिन गैरी मताईन नांगरिहा हा नांगर म

भर्री भाठा ले खेत बनाईस कर के भरोषा जांगर म

मया मितानी साधे सपरिहा किसानी साधिन बक्खर म

निंदासी लुईन जी जुर मिल के सुवा ददरिया घर घर म


करनी करम के किरिया खाए

करनी करम के किरिया खाए

करे सेवा सार वो


अंतरा 2

हरियर लुगरा सोनहा धन हा किसानी रंग जमाथे गा

फेर धरती के कुंवारी पन ला कहां लकभटा पाथे गा

अटल कुंवारी धरती माता कमईया ला गोहराथे गा

खेती अपन सेती हे संगी फसल देखत सुख पाथे गा


पानी पसीना पेज पसिया हर

पानी पसीना पेज पसिया हर

हावय दाई आधार वो


अंतरा 3

जियत मरत ले माटी महतारी तोरे करथे सिंगार वो

सांवा बदउर चुहुका नर जेवा लिख जुंवा के बजार वो

जल देवती वरूण के सेवा मन हर लागे उपकार वो

हिया जिया तोर हांसै कुल के सेउक माने तिहार वो


दुख सुख हर तोर संगे लागे

दुख सुख हर तोर संगे लागे

अमृत के धार वो


अंतरा 4

आखिरी बेरा म सब छुट जाथे कोन्हो संग नई जावै वो

नता दाई संगी संगवारी संगनी हा आंसू बोहावै वो

करम कमाई धरम के जे हा तोर तीर म अमराए वो

जईसे सीता ला कोरा बईठारे तईसे सबो ला अपनाए वो


कांतिकार्तिक शरण परे हे

मौनी लाला शरण परे हे

सब के लेबे भार वो


काया ले तारे उपजारे

काया ले तारे उपजारे

लागे पारो भार वो

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