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बमलाई ला सुमिरौ Bamlai La Sumirav Lyrics – Kantikartik Yadav Jas Geet

 

बमलाई ला सुमिरौ

Bamlai La Sumirav Lyrics 

Kantikartik Jas Geet Lyrics 

  • गीत - बमलाई ला सुमिरौ
  • स्वर - कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार - राजा कमल नारायण सिंग
  • संगीत - ओपी देवांगन
  • प्रकार - छत्तीसगढ़ी जस गीत
  • लेबल - कोक क्रिएशन



स्थायी
डोंगरगढ़ के होरे हो
बमलाई ला सुमिरौ डोंगरगढ़ के हां
बमलाई ला सुमिरौ डोंगरगढ़ के हां
बमलाई ला सुमिरौ डोंगरगढ़ के हां
बमलाई ला सुमिरौ डोंगरगढ़ के हां

अंतरा 1
जब के सौ रेहे तोर अड़ही अउ सिड़ही
के सौ रेहे पुजारी
जब के सौ रेहे तोर अड़ही अउ सिड़ही
के सौ रेहे पुजारी
के सौ रहे तोर ज्योत जलत हे
जगमग जगमग होरे हो
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां

अंतरा 2
जब नौ सौ एक तोर इड़ही अउ सिड़ही
लाखो रहै पुजारी
जब नौ सौ एक तोर इड़ही अउ सिड़ही
लाखो रहै पुजारी
आठ सौ साठ तोर ज्योत जलत हे
जगमग जगमग होरे हो
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां

अंतरा 3
जब रिसी मुनी मन ध्यान लगाए
तोर चरण म आ के
जब रिसी मुनी मन ध्यान लगाए
तोर चरण म आ के

लाल लंगुरवा ज्योत जलाए
जगमग जगमग होरे हो
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां

अंतरा 4
जब ब्रम्हा वेद धरे तोरे द्वारे
शंकर ध्यान लगाए
जब ब्रम्हा वेद धरे तोरे द्वारे
शंकर ध्यान लगाए

कमल पति तोर आरती उतारे
जगमग जगमग होरे हो
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां

अंतरा 5
जब पांच भगत मिल तोर जस गावै
जय जय बोले हो तुम्हारे
जब पांच भगत मिल तोर जस गावै
जय जय बोले हो तुम्हारे

कमल नारायण आरती सजाए
सौ मुख दीयना होरे हो
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां
जग ज्योत जलत हे जगमग जगमग हां

बमलाई ला सुमिरौ डोंगरगढ़ के हां
बमलाई ला सुमिरौ डोंगरगढ़ के हां

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