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कइसे माते फागुन - कांतिकार्तिक | छत्तीसगढ़ी होली गीत लिरिक्स

✴️ कइसे माते फागुन ✴️
KAISE MATE FAGUN LYRICS
🌺छत्तीसगढ़ी होली गीत🌺

  • गीत - कइसे माते फागुन
  • स्वर - कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार - मिनेश साहू
  • संगीतकार - ओपी देवांगन
  • लेबल - कोक क्रिएशन


स्थायी

कईसे माते फागुन एसो के साल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो


देखव संगी आरा पारा 

घूमत हावै झारा झारा

खांध जोरै भाटो सारा

मुहु कान दिखै लाले लाल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो


अंतरा 1

घोरे रंग आनी बानी भांग पिए भकवाए हे

नाचत हावै बईहा बरन सुध बुध भूलाए हे

घोरे रंग आनी बानी भांग पिए भकवाए हे

नाचत हावै बईहा बरन सुध बुध भूलाए हे


पहिरे हावै लुगरा चेंदरा 

जईसे दिखै करिया बेंदरा

घूमत हावै वो बसुंधरा

बहुत बिगड़गे एखर चाल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो

अंतरा 2

नशा ला चढ़ावत बईठे डोकरी अउ डोकरा हा

चखना के जुगाड़ बर भीड़े नाती छोकरा हा

नशा ला चढ़ावत बईठे डोकरी अउ डोकरा हा

चखना के जुगाड़ बर भीड़े नाती छोकरा हा


देख देख के लईका सिखै 

थोर थोर म बनेच चिखै

कोनो संसो मा नई दिखै

गांव के होवत हे बारा हाल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो


देखव संगी आरा पारा 

घूमत हावै झारा झारा

खांध जोरै भाटो सारा

मुहु कान दिखै लाले लाल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो

कईसे माते फागुन एसो के साल हो

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