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देखत हे कनेखी - कांतिकार्तिक | छत्तीसगढ़ी होली गीत लिरिक्स

 देखत हे कनेखी
DEKHAT HE KANEKHI LYRICS
KANTIKARTIK HOLI SONG

  • गीत - देखत हे कनेखी
  • स्वर - कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार - मीनेश साहू
  • संगीतकार - ओपी देवांगन
  • छत्तीसगढ़ी होली गीत
  • लेबल - KOK CREATION


स्थायी

देखत हे कनेखी

अरे देखत हे कनेखी का बान मारत हे

देखत हे कनेखी का बान मारत हे

अरे देखत हे कनेखी का बान मारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

अंतरा 1

काए गुनै भीतरे भीतर काए मन म धरे हे

काए मन म धरे हे

बंधे नता जिनगी भर चम चम ले गाठ परे हे

चम चम ले गाठ परे हे


काए गुनै भीतरे भीतर काए मन म धरे हे

काए मन म धरे हे

बंधे नता जिनगी भर चम चम ले गाठ परे हे

चम चम ले गाठ परे हे


बांधे हे बंधना विधाता

बांधे हे बंधना विधाता काबर टारत हे

बांधे हे बंधना विधाता काबर टारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

अंतरा 2

धरे कोहनी खड़े रहिथे मोहाटी के आट म

मोहाटी के आट म 

देखत हे कनेखी कईसे रद्दा जोहत बाट म

रद्दा जोहत बाट म


धरे कोहनी खड़े रहिथे मोहाटी के आट म

मोहाटी के आट म 

देखत हे कनेखी कईसे रद्दा जोहत बाट म

रद्दा जोहत बाट म


मोर मन के मंदरस ला

मोर मन के मंदरस ला निचट झारत हे

मोर मन के मंदरस ला निचट झारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

अंतरा 3

देखत रहिथौ घड़ी घड़ी ससन भर के तोला 

ससन भर के तोला 

अंतस जुड़ा जातिस मोर बिरथा चोला

मोर बिरथा चोला


देखत रहिथौ घड़ी घड़ी ससन भर के तोला 

ससन भर के तोला 

अंतस जुड़ा जातिस मोर बिरथा चोला

मोर बिरथा चोला


रही रही के हिरदय भीतरी 

रही रही के हिरदय भीतरी भूर्री बारत हे

रही रही के हिरदय भीतरी भूर्री बारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे


देखत हे कनेखी

अरे देखत हे कनेखी का बान मारत हे

देखत हे कनेखी का बान मारत हे

अरे देखत हे कनेखी का बान मारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

कोन जनी मया के जादू कईसे भारत हे

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