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जगमग जगमग दीया बरत हे - पूरन साहू | jagmag jagmag diya barat he lyrics | जस गीत लिरिक्स

🌺जगमग जगमग दीया बरत हे🌺
Jagmag Jagmag Diya Barat He Lyrics
🌷पुराना जस गीत🌷
  • गीत : जगमग जगमग दीया बरत हे
  • गायक : पूरन साहू
  • गीतकार : पूरन साहू
  • संगीतकार : पूरन साहू
  • लेबल : सुन्दरानी


स्थायी

जगमग जगमग दीया बरत हे

अंबा के आरती होवै हो माँ

जगमग जगमग दीया बरत हे

अंबा के आरती होवै हो माँ

अंतरा 1

कंचन के थारी मा धूप कपूर धर 

माटी के दीया जलायेव

पान फूल नरियर माता ध्वाजा सुपारी

तोरे चरण मा चघायेव

हो बाजे ढोल शंख नंगारा

हो बाजे ढोल शंख नंगारा

घंटा बाजत हे 

अंबा के आरती हावै हो माँ

अंतरा 2

बईठे आसन में माता दुर्गा भवानी

सोला सिंगार अंग साजे

जम्मो परानी उतारे अंबा के आरती

झूमर झूमर सब नाचे

हो पा के दर्शन दाई के

पा के दर्शन दाई के 

नैना भरत हे 

अंबा के आरती हावै हो माँ

अंतरा 3

विपदा बाधा हर लेबे जग के महतारी

अन धन भंडार घर भर दे

अमरित बरसाबे मया के मउरे फूलवारी

बस अतका किरपा कर दे

हो प्रेमे पूरन हा माता

प्रेमे पूरन हा माता

पउरी परत हे

अंबा के आरती हावै हो माँ

अंबा के आरती हावै हो माँ

अंबा के आरती हावै हो माँ

अंबा के आरती हावै हो माँ


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