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ममता के आँसू - दुकालू यादव | Mamta Ke Aansu Lyrics | Dukalu Yadav New Jas Geet 2022 | Judwas Geet

| ममता के आँसू - दुकालू यादव | 
| Mamta Ke Aansu Lyrics |
🌺 New Jas Geet 2022 🌺
  • गीत : ममता के आँसू
  • गायक : दुकालू यादव
  • गीतकार : दुकालू यादव
  • संगीतकार : ओ पी देवांगन
  • प्रस्तुति : श्रद्धा विनोद कश्यप
  • लेबल : 360INDIA



स्थायी
ममता के आँसू बरसाये दाई ओ
सब मानव मन के तै प्यास बुझाये
सब मानव मन के तै प्यास बुझाये
शीतला सताक्षी शाकम्भरी तै
शीतला सताक्षी शाकम्भरी तै
सब के भूख मिटाये
सब मानव मन के प्यास बुझाये

अंतरा 1
एक समय जब अईसन आये
धरती बंजर सुखा रहाये
लकलक लकलक सुरूज नारायण
आगी अंगरा कस ताप बढ़ाये
पटपट पटपट जीव जंतु सब
पटपट पटपट जीव जंतु सब
मनखे मरत हे जाये
तब मानव मन के प्यास बुझाये

अंतरा 2
बिन पानी के बिरथा हे जीवन 
खाये बन नई हे कोठी मा अन्न
भूखे प्यासे कलपत सब झन 
शीतला दाई ला गोहराये उही कन
अईसन कईसन दिन हा आगे
अईसन कईसन दिन हा आगे
तन के लहू हा सुखाये
सब मानव मन के प्यास बुझाये

अंतरा 3
देख दशा ला माता शीतला के 
आँखी ले आँसू टपटप टपके
बंजर भुईया होगे हरियर
तरिया नंदिया पानी मा छलके
महतारी के मया पलपलाये
महतारी के मया पलपलाये
सब के परान बचाये
सब मानव मन के प्यास बुझाये

अंतरा 4
देवता दानव जग के मानव
जग जननी के मान बढ़ाये
असाड़ महिना शीतला दाई ला
शीतल करे जुड़वास मनाये
लीम के डारा तेल तिली हरदी
लीम के डारा तेल तिली हरदी
प्रेम कोसरिया चघाये
सब मानव मन के प्यास बुझाये
शीतला सताक्षी शाकम्भरी तै
शीतला सताक्षी शाकम्भरी तै
सब के भूख मिटाये
सब मानव मन के प्यास बुझाये
ममता के आँसू बरसाये दाई ओ
सब मानव मन के तै प्यास बुझाये
सब मानव मन के तै प्यास बुझाये

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