- गीत : जगतारण देवी ओ
- गायक : दुकालू यादव
- गीतकार : अजय उस्ताद
- संगीतकार : दुकालू यादव
स्थायी
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
तोर महिमा बरनी ना जाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
तोर महिमा बरनी ना जाये
हो नौ ठन मैया रूप बनाये
नौ ठन मैया रूप बनाये
नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
तोर महिमा बरनी ना जाये
अंतरा 1
यहो एक रूप मे तही रहे फेर कतको रूप बनाये ओ
यहो क्षय अक्षय तै शक्ति बान के दुनिया मे चरित देखाये ओ
यहो दस विद्या नव दुर्गा बने तै चौषट जोगनी कहाये ओ
यहो तोर महिमा अउ तोर हिच के कोनो पान नई पाये ओ
यहो ब्रम्हा विष्णु तक माथ नावाये
ब्रम्हा विष्णु तक माथ नावाये
नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
अंतरा 2
यहो पहली रूप तोर शैलपुत्री हे शिवशंकर के पियारी ओ
यहो तोला बनाईस भोलेनाथ हा अमर कथा अधिकारी ओ
यहो देवता ऋषि के करे सहाई टारे विघन ला भारी ओ
यहो सबके करे पुरईया हावस तै अइसन महतारी ओ
यहो सगरो चराचर तोर फूलवारी
सगरो चराचर तोर फूलवारी
नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ता जाये
अंतरा 3
यहो ब्रम्हचारिणी दुसर रूप हे सबमें ज्ञान बगराये ओ
तही हावस ओ विध्यवासिनी आदि कुंवारी कहाये ओ
यहो तीसर रूप हावै चंद्रघंटा तोर भुईया के भार हा जाये ओ
यहो करे सहाई साधु संत के धरम ध्वजा फहिराये ओ
यहो वेद शासतर तोरे गुण गाये
वेद शासतर तोरे गुण गाये
नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
अंतरा 4
यहो बघवा उपर बईठे कुष्मांडा अमृत कलश भराये ओ
यहो चारो हाथ मे शंख चक्र हे अडबड शोभा पाये ओ
यहो पांचवा रूप हे स्कंद माता सब बर मया बढ़ाये ओ
यहो कार्तिक ला कोरा मे पाये आसन सिंह में लगाये ओ
यहो जग जननी के पद ला पाये
जग जननी के पद ला पाये
हो नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
अंतरा 5
यहो छटवा कल्याणी सिंह चढ़ दानव मार गिराये ओ
यहो कालरात्री के रूप सांतवा काटा के मुकुट सजाये ओ
यहो गदहा में चघे प्रलय मचाये खाओ खाओ चिल्लाये ओ
यहो आठवा हे महागौरी डमरू त्रिशुल धर आये ओ
यहो बईला सवारी सुघ्धर भाये
बईला सवारी सुघ्धर भाये
हो नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
अंतरा 6
यहो नवा रूप हरे सिद्धीदात्री सबके आस पुराये ओ
यहो नव रूप के पुजा हर सुघ्धर नवरात्री कहाये ओ
यहो नव रूप नव खण्ड मे हावै नवधा भक्ति गनाये ओ
यहो नवे अंग हर ब्रम्ह कहाये सब ला मुक्ति देवाये ओ
यहो अजय तीसो दिन माथ नवाये
अजय तीसो दिन माथ नवाये
हो नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये
जगतारण देवी ओ तोर महिमा बरनी ना जाये
यहो नव ठन मैया रूप बनाये
नव ठन मैया रूप बनाये
हो नव दुर्गा तै कहाये
नव दुर्गा तै कहाये