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मोर घर में अवतर के आबे दाई - Mor Ghar Me Avtar Ke Aabe Dai Lyrics - Kantikartik Yadav Jas Geet

 

मोर घर में अवतर के आबे दाई

Mor Ghar Me Avtar Ke Aabe Dai Lyrics

Kantikartik Yadav Jas Geet

  • गीत - मोर घर में अवतर के आबे दाई
  • स्वर - कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार - मिनेश साहू
  • संगीत - ओपी देवांगन
  • प्रकार - छत्तीसगढ़ी जस गीत
  • लेबल - कोक क्रिएशन


स्थायी
भागमानी सहरातेंव सब दिन
जिनगी के छंईहा धूप में
भागमानी सहरातेंव सब दिन
जिनगी के छंईहा धूप में

मोर घर में अवतर के आबे दाई
मोर घर में अवतर के आबे दाई
तैं हा बेटी रूप में

अंतरा 1
पर जातिस तारे चरण के धूर्रा
बंध जातिस मोर मया के डोरी
हांसत कुलकत अंगना म खेलते
रोतेस त मैं गातेंव लोरी

पर जातिस तारे चरण के धूर्रा
बंध जातिस मोर मया के डोरी
हांसत कुलकत अंगना म खेलते
रोतेस त मैं गातेंव लोरी
मैं खंधईया चढ़ातेंव मन भर
तोर हांसी अउ रोना चुप में

अंतरा 2
संभरातेंव चुक चुक ले दाई
दिखतेस वो जईसे सोन पुतरी
मन मोहनी वो तोर सुरतिया
रहितिस मोर अंतस के वो भितरी

हो संभरातेंव चुक चुक ले दाई
दिखतेस वो जईसे सोन पुतरी
मन मोहनी दाई तोर सुरतिया
रहितिस मोर अंतस के वो भितरी

बहिनी दाई मामी काकी पातेंव
मैया मैं तोर स्वरूप में

मोर घर में अवतर के आबे दाई
मोर घर में अवतर के आबे दाई
तैं हा बेटी रूप में
भागमानी सहरातेंव सब दिन
जिनगी के छंईहा धूप में

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