बन जाहूं लंगूर के पूछी
BAN JAHU LANGUR KE PUCHHI LYRICS
KANTIKARTIK JAS GEET LYRICS
- गीत - बन जाहूं लंगूर के पूछी
- स्वर - कांतिकार्तिक यादव
- गीतकार - गुरूदेव मौनीलाला जी
- संगीत - ओपी देवांगन
- प्रकार - छत्तीसगढ़ी जस गीत - लंका दहन गीत
- लेबल - कोक क्रिएशन
स्थायी
बन
जाहूं लंगूर के पूछी कहिथे माता भवानी
बन
जाहूं लंगूर के पूछी कहिथे माता भवानी
जेन
महल ला मैं बनवायेंव ओ
जेन
महल ला मैं बनवायेंव नई रखौ नाव निशानी
अंतरा
1
कैलाशे
के चार दिवारे म शिव संग सती रहाए गा
एक
दिन पहुना रूप म लक्ष्मी कैलाशे म आए गा
पेज
पहुनाई सुग्घर के करथे मान पान ला भंजाए गा
मान
पान ले अघा के लक्ष्मी सती ला संग ले जाए गा
बैकुंठ
रूप स्वरूप ला देख के ओ
बैकुंठ
रूप स्वरूप ला देख के खुश होगे शिव रानी
अंतरा
2
समरथ
ला कोन दोख लगाही उराठील गोठियाए गा
तुहर
घर कहां अईसन पाबे पखरा पहाड़ जानाए गा
बईठे
तक बर पिड़हा नई हे ताना के बान जनाए गा
झुंझला
के सती आए कैलाशे शिव जी बर भन्नाए गा
सोन
सोन के महल बना तैं ओ
सोन
सोन के महल बना तैं तभे मैं पीहूं पानी
अंतरा
3
विश्वकर्मा
के सोन महल म नाव रतन हा जड़ाए गा
आभा
परभा बरनी ना जाए बैकुंठ हा धुंधराए गा
प्राण
प्रतिष्ठा करे बर बाम्हण रावण हा घर आए गा
नेंग
जोंग अउ विधि विधान ले पूजा प्रतिष्ठा कराए गा
दक्षिणा
के बेरा म रावण ओ
दक्षिणा
के बेरा म रावण बोले उदार बानी
अंतरा
4
दाई
सती हा बाम्हण देव ला दक्षिणा बर कहाए गा
संकोच
करत उदार भाव ले रावण मुहु लुकाए गा
भाव
भाव के खेल खेल म तीन वचन दोहराए गा
वचन
हरावत सोनहा महल ला दक्षिणा म मांग जाए गा
देवी
के तन मन करियागे ओ
देवी
के तन मन करियागे आंखी के सुखागे पानी
अंतरा
5
मन
के आशा हार हरागे परन भवानी उचाए गा
जेन
महल ला मैं बनवायेंव एक दिन देहूं नसाए गा
बेरा
बिसरत बेरा नई लागे राम जनम जब आए गा
महारूद्र
अवतार के बेरा शिव भोला के आए गा
सिंदूरे
म सउंहे सनाहूं ओ
सिंदूरे
म सउंहे सनाहूं गाहूं राम के बानी
अंतरा
6
लंगूर
रूप ला धरे जब भोला सती हा संग म समाए गा
लंगूरे
के पुछी बन के सीता खोजे बर जाए गा
राम
के सीता हरा के परा गे लंका म देखो बंधाए गा
लांघ
समुन्दर हनुमंता हा लंका म आगी लगाए गा
सती
माता के परन पुरागे ओ
कांतिकार्तिक
कथा सुनागे मौनी लाला के जुबानी
तोर
परन हा पुरागे दाई जय हो तोर भवानी
तोर
परन हा पुरागे दाई जय हो तोर भवानी
तोर
परन हा पुरागे दाई जय हो तोर भवानी