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डोंगरी के पार - कांतिकार्तिक यादव | DONGRI KE PAR LYRICS | KANTIKARTIK YADAV CG SONG LYRICS

डोंगरी के पार  
DONGRI KE PAR LYRICS
KANTIKARTIK CG SONG LYRICS 

  • गीत - डोंगरी के पार
  • स्वर - कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार - मिलन मलरिहा जी
  • संगीतकार - ओपी देवांगन
  • प्रकार - छत्तीसगढ़ी गीत
  • लेबल - ओ पी देवांगन


चलो रे संगी मन

मउहा बिने बर


स्थायी

खेत खार तीरे तीर टपकत हे मउहा रे

टपकत हे मउहा

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार


खेत खार तीरे तीर टपकत हे मउहा रे

टपकत हे मउहा

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार


अंतरा 1

छत्तीसगढ़ के जंगल झाड़ी कंद मूल अपार

वन औषधी के हावै इहा भारी भंडार

हो छत्तीसगढ़ के जंगल झाड़ी कंद मूल अपार

वन औषधी के हावै इहा भारी भंडार


लट लट ले झूलत हावै

लट लट ले झूलत हावै इमली अउ चार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार


अंतरा 2

सुग्घर नंदिया के पानी निर्मल धारा

इहा के पठार म अड़बड़ हे चारा

हो सुग्घर नंदिया के पानी निर्मल धारा

इहा के पठार म अड़बड़ हे चारा


संगे संगे चराबो 

संगे संगे चराबो छेरी मेड़ पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार


खेत खार तीरे तीर टपकत हे मउहा रे

टपकत हे मउहा

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार


खेत खार तीरे तीर टपकत हे मउहा रे

टपकत हे मउहा

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार

चल चल बिने जाबो डोंगरी के पार


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