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कंचन थारी म आरती सजाई के - संत पिरोहिल दास | Kanchan Thari Ma Aarti Sajai Ke Lyrics | Panthi Geet Lyrics

✴️ कंचन थारी म आरती सजाई के ✴️
  Kanchan Thari Ma Aarti Sajai Ke Lyrics
🌿 Panthi Geet Lyrics 🌿

  • गीत - कंचन थारी म आरती सजाई के
  • स्वर - संत पिरोहिल दास
  • गीतकार - संत पिरोहिल दास
  • संगीतकार - 
  • छत्तीसगढी पंथी गीत
  • लेबल - एस बी म्यूजिक कोरबा

स्थायी

कंचन थारी म आरती सजाई के 

सुग्घर घीव के दीयना जलाई के

आरती सजावव गुरू तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के

आरती उतारंव बाबा तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के


अंतरा 1

निराकार हे सतगुरू स्वामी

सत हावै परकाश जी

निराकार हे सतगुरू स्वामी

सत हावै परकाश जी

अमरौतिन के लाल कहाए

गुरू मोर घासीदास जी

सुग्घर श्वेत के गदिया लगाई के

गजमोतियन के चौक पुराई के

आरती सजावव गुरू तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के

आरती उतारंव बाबा तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के


अंतरा 2

सात बचन तोरे 42 बानी जिनगी ला हमर संवारे जी

सात बचन तोरे 42 बानी जिनगी ला हमर संवारे जी

संत समाज जुरिया के बाबा तोरे चरण ला पखारे जी

मन हिरदय म तोला लगाई के

तोर नाम के ध्यान लगाई के

आरती सजावव गुरू तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के

आरती उतारंव बाबा तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के


अंतरा 3

दुखिया के तैं दुख ला हरे गुरू काटे विपत अउ बाधा जी

दुखिया के तैं दुख ला हरे गुरू काटे विपत अउ बाधा जी

पा के तोर किरपा ला गुरू जी रंक हो जाथे राजा जी

चौका मंगल आरती ला गाई के संत गुरू के महिमा ला पाई के

आरती सजावव गुरू तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के

आरती उतारंव बाबा तोर

फूल पान नरियर चढ़ाई के



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