- गीत - हे सतपंथी रे
- स्वर - गोरेलाल बर्मन, रतन सबिहा
- गीत - गोरेलाल बर्मन
- संगीत - गोरेलाल बर्मन
- एल्बम - हे सतपंथी
- लेबल - केके कैसेट
स्थायी
ऐ सतपंथी रे
ऐ सतपंथी रे जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले
दुनिया के रद्दा बड़ अलकर हे
सत के महिमा अजर अमर हे
सत ला उजियार कर ले हाय
जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले
अंतरा 1
सत्य के रसदा म विपदा हे भारी
हिम्मत झन हारबे नई तोर हो जाबे लाचारी
हिम्मत झन हारबे नई तोर हो जाबे लाचारी
सत के डगरिया चल चल भाई
छोड़ माया मोह जग खल बउराई
छोड़ माया मोह जग खल बउराई
सत म धरती धरे सत म अगासा
चंदा सुरूज के रूप म ज्योति प्रकाशा
मन म विस्तार कर ले हाय
जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले
अंतरा 2
दू दिन के जिनगी हे दू दिन के मेला
दू दिन के मया पीरा सगरो झमेला
दू दिन के मया पीरा सगरो झमेला
जब ले तन म सांसा तब ले दुनिया के रेला
तन ले सांसा जब छूट जाही जाना हे अकेला
तन ले सांसा जब छूट जाही जाना हे अकेला
सत के संगत म हावै सुख पुरवईया
अंतस मन हिरदय के पीरा गावै सुरबईहा
मानुष जीव उद्धार कर ले
जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले
ऐ सतपंथी रे
ऐ सतपंथी रे जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले
हाय रे जिनगी निसार कर ले