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आरती हो सतनाम - पहली आरती जगमग ज्योति | Aarti Ho Satnam Lyrics | Panthi Geet Lyrics

❇️ आरती हो सतनाम ❇️
✴️Aarti Ho Satnam Lyrics✴️
🌿Panthi Geet Lyrics🌿

  • गीत - आरती हो सतनाम
  • स्वर - गोरेलाल बर्मन, रतन सबिहा
  • गीतकार - गोरेलाल बर्मन
  • संगीतकार - गारेलाल बर्मन
  • एल्बम - हे सतनाम 
  • लेबल - केके कैसेट



प्रथम गुरू को गाईए के जिन गुरू रचिन जहान

पानी से पैदा लिए के सतपुरूष निर्माण

सत्यनाम एक वृक्ष बने के निरंजन बन गे डार

तीन देव एक शाखा बने के पन्ना बने संसार


बोल गुरू घासीदास बाबा की जय


पहली आरती आरती जगमग ज्योति,

हीरा पदारथ बार ल मोती

आरती हो सतनाम 

हो गुरू जी के 

आरती हो सतनाम


दूजे आरती दूनो अंग सोहे

सत्यनाम ल हिरदय म बोहे

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम


तीजे आरती त्रिभुवन मोहे

रतन सिहासन गुरूजी ल सोहे

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम


चौथे आरती चारो जग पूजा

सतनाम छोड़ पूजन नही दूजा

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम


पांचे आरती पद निरबाना

कहे घासीदास हंसा लोक सिहाना

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम


छै आरती दर्शन पावै

लाख चौरासी जीव के बंधना छोड़ावै

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम


सात आरती सतनामी घर आए

चढ़ के विमान हंसा लोक सिधाए

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम


अईसे आरती देहूं लखाए

निरखत ज्योति अधर फहराए

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम

आरती हो सतनाम

हो गुरूजी के 

आरती हो सतनाम

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