- गीत : माता महरानी के गांव
- गायक : कांतिकार्तिक यादव
- गीतकार : मौनी लाला
- संगीतकार : ओ.पी. देवांगन
स्थायी
माता महरानी के गांव संतो माता महरानी के गांव
माता महरानी के गांव संतो माता महरानी के गांव
जिहा बर पीपर के छांव जिहा बर पिपर के छांव
जिहा बर पीपर के छांव जिहा बर पिपर के छांव संतो
अंतरा 1
सोनहा सुरूज संग बड़े बिहिनिया चिरगुन चहके गाये गा
छल छल छल छल नंदिया हासे निछमल धार बोहाये गा
सनन सनन चले पुरवाही पवन हा सेवा बजाये गा
किसान हा तोर बेटा दाई सुत उठ चरण मनाये गा
जिहा लक्ष्मी के हावै पांव जिहा लक्ष्मी के हावै पांव
जिहा लक्ष्मी के हावै पांव जिहा लक्ष्मी के हावै पांव संतो
अंतरा 2
गउ लक्ष्मी के सेवा बजाथे निशिदिन बने पहटीया गा
पानी भर के कोठा खरेरे मांजे थारी लोटीया गा
सरधा के सूर लमाये सुघ्घर देखौ गांव के गौटीया गा
अंगना सजावै तोरे तीसो दिन घर के बड़े बहूरिया गा
अंगना मा गंगा के भाव अंगना मा गंगा के भाव
अंगना मा गंगा के भाव अंगना मा गंगा के भाव संतो
अंतरा 3
असनन कर के गंगा धर के पूजा करे परानी ओ
मुस मुस हांसे अंगना के तुलसी करे सदा कल्याणी ओ
पूजा पूजे नेम बरत ले जग मा संत सुजानी ओ
दिया बार के सुमरै सुघ्घर तै जग के महरानी ओ
पांचो अंग ले परे गा पांव पांचो अंग ले परे गा पांव
पांचो अंग ले परे गा पांव पांचो अंग ले परे गा पांव संतो
अंतरा 4
गांव म बन के हावै गौटनीन माया अजब रचाये ओ
खोरिन खोर करे इजहारे सुख दुख बाटत जाये ओ
मान पान के सुख ला पाके किरपा ला बरसाये ओ
कांतिकार्तिक भगती ला पाये मौनी लाला हरसाये ओ
तोर सबो जगा परभाव तोर सबो जगा परभाव
तोर सबो जगा परभाव दाई सबो जगा परभाव संतो
जिहा बर पीपर के छांव जिहा बर पिपर के छांव
जिहा बर पीपर के छांव जिहा बर पिपर के छांव संतो