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कलयुग में काली अवतरही लिरिक्स - दुकालू यादव | Kalyug Me Kali Avtarhi Lyrics | Jas Geet Lyrics Dukalu Yadav

  • गीत : कलयुग में काली अवतरही 
  • गायक : दुकालू यादव
  • गीतकार : दुकालू यादव
  • संगीतकार : गुड्डा साहू
  • लेबल : एस जी म्यूजिक

जय काली कलकत्ता वाली 
तोर वचन ना जाये खाली जय काली

स्थायी
कलयुग में काली अवतरही 
पापी मन के नाश ला करही
ये देकलयुग में काली अवतरही 
पापी मन के नाश ला करही
जे दिन पाप के डबरी
जे दिन पाप के डबरी 
नंदिया जईसे छलकही
कलयुग में
कलयुग में काली अवतरही 
पापी मन के नाश ला करही

अंतरा 1
जे चाउर में गोटी मिला के पइसा ला कमाथे
अपन खाथे बने बने अउ घिनहा ला खवाथे 
धरम करईया बचही 
धरम करईया बचही पाप करइया मरही 
कलयुग में 

अंतरा 2
झूठ भरे हे पापी मन के पेट के भीतर में 
तेकरे सेती पेट फूलत हे दिखत हे उपर में
ऐकर सजा ल भुगतही 
ऐकर सजा ल भुगतही खटिया मा वो पचही
कलयुग में 

अंतरा 3
नेता मन हा सादा सादा कपड़ा ला बनवाये
करिया धन ला अंदर कर के हाथ ला हिलाये
भाषण म मन ला हरही
भाषण म मन ला हरही खुरसी बर सबो लड़ही
कलयुग में

अंतरा 4
जइसे महिसासुर के वध ला दुर्गा मा करे हे
पाप के गघरी भरे ले काली रूप धरे हे
काल के आगी मा जरही
काल के आगी मा जरही नई लागे छेना खरही
कलयुग मे
जे दिन पाप के डबरी नंदिया जईसे छलकही
कलयुग में
कलयुग में काली अवतरही 
पापी मन के नाश ला करही


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