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माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव लिरिक्स | Mati Ke Dai Durga Lyrics | Old Jas Geet lyrics | पुराना जस गीत के बोल

| माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव लिरिक्स |  
| Mati Ke Dai Durga Lyrics | 
| Old Jas Geet lyrics |

  • गीत : माटी के दाई दुर्गा
  • गायक : मनहरण साहू
  • गीतकार : परमानंद कठोलिया
  • संगीतकार : मनहरण साहू




जगदंबा जीहा अवतरही सोपुर बरनी ना जाये
रिद्धि सिद्धि सुख संपदा नित नुतन अधिकाये

स्थायी
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव
कुंआर महिना अंजोर पाखे 
कुंआर महिना अंजोर पाखे दिन एकम के मढ़ाव
कुंआर महिना अंजोर पाखे 
कुंआर महिना अंजोर पाखे दिन एकम के मढ़ाव

अंतरा 1
नव दुर्गा महिष मर्दनी दया मया के सागर हे
अष्ट भुजी मुर्ति के रूप में चरनन महिषासुर हे
जगदंबा के मान करे बर 
जगदंबा के मान करे बर माटी के दुर्गा मढ़ाव

अंतरा 2
लाल बरन लाली अंग लुगरा लाली सिंगार पहिरायेव
पुतरी अस संभरा के दाई अखंड ज्योत जलायेव
लहर लहर लहराये जंवारा
लहर लहर लहराये जंवारा नेवता में देवता ला बलाव

अंतरा 3
चलत चलाथन पुरखा पुराथन इसने तोला मनायेव
नेम धेम जप पूजा पाठ कर नवरतीहा गोहरायेव
ध्वजा तोरण तोर अंगना में छायेव
ध्वजा तोरण तोर अंगना में छायेव मड़इ बरग संभराव

अंतरा 4
तोर दया ले तर जाही चोला अचरा के रखबे छंईहा
तोर कोरा मे दुलार हे दाई नई माढ़े बैरी के पंईया
भैरौ लंगुरवा रखवार बईठे 
भैरौ लंगुरवा रखवार बईठे जपत हावै तोर नाव

अंतरा 5
तीनो तीलीक तोर सेवा करे चरनन माथ नवायेव
आशा तृष्णा पूरा कर दे तोर शरण में आयेव
दास मनो हे तोर जस गायेव जगमग जोत जलायेव
छत्तीसगढ़ परमानंद कठोलिया
छत्तीसगढ़ परमानंद कठोलिया जपत हावै तोर नाव
कुंआर महिना अंजोर पाखे
कुंआर महिना अंजोर पाखे दिन एकम के मढ़ाव

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